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धुल सा बिखरा पड़ा था कहीं बधार में समेट कर लाया क

धुल सा  बिखरा पड़ा था कहीं बधार में
समेट कर लाया किसी कुम्हार ने ।

और बिगोया पिटा मुझको रात में
जिदंगी की चाक पर कुछ ऐसा गुमया उस्ताद ने
पल में ढाल गया जीवन की ढाल में।।

फिर तपाया आग में
तब मै निकला जिन्दगी की तलाश में।।                      अकेला,... #Worldteachersday
धुल सा  बिखरा पड़ा था कहीं बधार में
समेट कर लाया किसी कुम्हार ने ।

और बिगोया पिटा मुझको रात में
जिदंगी की चाक पर कुछ ऐसा गुमया उस्ताद ने
पल में ढाल गया जीवन की ढाल में।।

फिर तपाया आग में
तब मै निकला जिन्दगी की तलाश में।।                      अकेला,... #Worldteachersday