क्या कुछ तेरे लिए हमने, इश्क़ में न किया सनम। बेहतर की उम्मीद में, हर पल हँसकर जिया सनम। बेहतर था कि तू मुझसे और मैं तुझसे मुख़ातिब होते। मिलना तो मुश्किल था पर दीदार भी न किया सनम। कैसे बताऊँ, कितना तुझको, दिल से हमने चाहा था। ज़िक्र-ए-मोहब्बत मैंने तुझसे, एक बार भी न किया सनम। मशरूफ़ थे तेरी यादों में, पर ख़्वाबों में भी मिले थे हम। पर कभी यूँ हँसकर हमने, साथ एक दूजे का न दिया सनम। तरसते रहे मिलन की ख़ातिर, कोई सपना न जिया सनम। तेरी यादों में हर पल तड़पे, हर आँसू भी हमने पिया सनम। ♥️ Challenge-549 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।