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ये जिंदगी के दीप, ना जाने कब बुझ जाय.. पर तेरे नफ

ये जिंदगी के दीप, ना जाने कब बुझ जाय..

पर तेरे नफरत की दीवार, रोज बड़े होते हैं..

हम खिलौना नहीं तेरे बचपन की, जिसे सरेआम खेला जाय..


ये तो वो हकीक़त है जिसे देख, ख्वाब भी थर्राये...

जितेन्द्र ✍ Jk TSOL ✍ 

https://t.co/rXdCZLuKSg Real is always real.
ये जिंदगी के दीप, ना जाने कब बुझ जाय..

पर तेरे नफरत की दीवार, रोज बड़े होते हैं..

हम खिलौना नहीं तेरे बचपन की, जिसे सरेआम खेला जाय..


ये तो वो हकीक़त है जिसे देख, ख्वाब भी थर्राये...

जितेन्द्र ✍ Jk TSOL ✍ 

https://t.co/rXdCZLuKSg Real is always real.