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कविता - " नील परी "- आसमान से हँसती गाती नील

कविता - " नील  परी "-   आसमान  से हँसती  गाती  नील  परी    भू  पर  आती  आकर  के  नन्ही  बगिया  को  खूशबू  से    ये  भर  जाती  जादूगर  सी  छड़ी  लिए  है बैठी  बच्चों     के  सिरहाने  इसके  आते  ही  फूलों  से झरने  लगते  मीठे  गाने इसकी  मुस्कान  मोती  हैं  और  चाँद  है इसकी   बिंदिया      बच्चे  इसको  खूब  जानते  कहते  है  लो आ गयी नन्ही  निंदिया कविता  - संध्या  उर्फ  सुधा  अस्थाना
कविता - " नील  परी "-   आसमान  से हँसती  गाती  नील  परी    भू  पर  आती  आकर  के  नन्ही  बगिया  को  खूशबू  से    ये  भर  जाती  जादूगर  सी  छड़ी  लिए  है बैठी  बच्चों     के  सिरहाने  इसके  आते  ही  फूलों  से झरने  लगते  मीठे  गाने इसकी  मुस्कान  मोती  हैं  और  चाँद  है इसकी   बिंदिया      बच्चे  इसको  खूब  जानते  कहते  है  लो आ गयी नन्ही  निंदिया कविता  - संध्या  उर्फ  सुधा  अस्थाना

कविता - संध्या उर्फ सुधा अस्थाना