बताने बोहोत से किस्से, बोहोत सी बात बैठे हैं, लिपट कर किनारों पर, आंखों के साथ बैठे हैं, गुज़र गए हैं कई बरस, कई सदियां बिन तुम्हारे, आ जाओ अब ये आंसू, छलकने को तैयार बैठे हैं।। याद आती है इन्हें हर पल, तुम्हारे आने की वो दस्तक, दिलफेंक शोखियां तुम्हारी, और कभी मासूम सी वो हरकत। कभी खुशी से निकल पड़ते थे जो, आज गमों से बिखरने को तैयार बैठे हैं। आ जाओ अब ये आंसू, छलकने को तैयार बैठे हैं।। गलतियां दिल ने वो की थी, जो ये तुम पर आया था, खता उसने की और हिस्सा सज़ा का, मैने पाया था। राज़ इन नाइंसाफियों के, पूछने को कब से तैयार बैठे हैं, हार गए हैं अब ये आंसू, और छलकने को तैयार बैठे हैं।। #shaayavita #aansoon #aansun #nojoto