न सुर्खियां बनूं मैं, न उनवान तुम बनाओ जो हो सके गैरों का भी, इंसान तुम बनाओ। धधक उठूँ मैं सूर्य सा जो रात हो काली घनी जो चक्षुओं को न चुभे, मैं बनूं वो रोशनी। ठहरूं नहीं मैं ताल सा, बहूँ नदी प्रवाह सा, मैं डूब कर भी तप रहा,जो रास्ता हो स्याह सा। रह सकें हम एक साथ,वो मकान तुम बनाओ, जो हो सके गैरों का भी, इंसान तुम बनाओ। दीन हीन न रहूँ, मैं बागबान से कहूं, मैं फूल हूँ गुलाब का, मैं अर्थ हूँ किताब का। निष्पक्ष ही खड़ा रहूँ, मैं हाथ नाम कर सदा वजह बनूँ खुशी का, मैं रोकूँ दुख का रास्ता, भटके न राही मार्ग से, ऐसा निशान तुम बनाओ, जो हो सके गैरों का भी इंसान तुम बनाओ। ....GARग #NojotoQuote #nojoto #nojotohindi #poetry #motivation #kavishala