मैं भीड़ में हूँ यह मेरा धोखा है सब स्वार्थ के लिए साथ चल रहे हैं॥ जिंदगी की डूबती कश्तियाँ बताती हैं रिश्ते बदल रहें हैं ॥ मेरा रास्ता अब दिशाएं तय करेगी साहब! क्योंकि, भंवर में उलझी कश्ती, बिन पतवार की जो ठहरी॥ © Dinesh Kumar Pathak मैं भीड़ में हूँ यह मेरा धोखा है सब स्वार्थ के लिए साथ चल रहे हैं॥ जिंदगी की डूबती कश्तियाँ बताती हैं रिश्ते बदल रहें हैं ॥ मेरा रास्ता