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मैं भीड़ में हूँ यह मेरा धोखा है सब स्वार्थ के लि

मैं भीड़ में हूँ 
यह मेरा धोखा है
सब स्वार्थ के लिए
साथ चल रहे हैं॥ 
जिंदगी की डूबती कश्तियाँ 
बताती हैं 
रिश्ते बदल रहें हैं ॥ 
मेरा रास्ता
अब दिशाएं तय करेगी
साहब! 
क्योंकि, 
भंवर में उलझी
कश्ती, 
बिन पतवार की जो ठहरी॥ 

© Dinesh Kumar Pathak मैं भीड़ में हूँ 
यह मेरा धोखा है
सब स्वार्थ के लिए
साथ चल रहे हैं॥ 
जिंदगी की डूबती कश्तियाँ 
बताती हैं 
रिश्ते बदल रहें हैं ॥ 
मेरा रास्ता
मैं भीड़ में हूँ 
यह मेरा धोखा है
सब स्वार्थ के लिए
साथ चल रहे हैं॥ 
जिंदगी की डूबती कश्तियाँ 
बताती हैं 
रिश्ते बदल रहें हैं ॥ 
मेरा रास्ता
अब दिशाएं तय करेगी
साहब! 
क्योंकि, 
भंवर में उलझी
कश्ती, 
बिन पतवार की जो ठहरी॥ 

© Dinesh Kumar Pathak मैं भीड़ में हूँ 
यह मेरा धोखा है
सब स्वार्थ के लिए
साथ चल रहे हैं॥ 
जिंदगी की डूबती कश्तियाँ 
बताती हैं 
रिश्ते बदल रहें हैं ॥ 
मेरा रास्ता

मैं भीड़ में हूँ यह मेरा धोखा है सब स्वार्थ के लिए साथ चल रहे हैं॥ जिंदगी की डूबती कश्तियाँ बताती हैं रिश्ते बदल रहें हैं ॥ मेरा रास्ता #कविता