Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था पहच

वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था 
पहचानती कैसे उसे चेहरे पर चेहरा लगा कर मिला था
क्या पता था दर्द उम्र भर का देगा 
वो दरिंदा बड़ा मासुम बन कर मिला था
पहली मुलाकत पर ही दिल में उतार गया था 
वो मुझे पूरी तय़ारी के साथ मिला था
देखते देखते वो मेरा हमराज बन गया 
कि हर दफा मुझे वो यकीन बन कर मिला था
माँ बाप से छुप कर उसको मिलने लगी थी
वो मुझे मेरा इश्क जो बन कर मिला था
हल्की सी मुस्कान लेकर वो मुझे छूता रहता था
वो हवसी मेरी हवस को जगाने की कोशिश करता था
वक़्त के साथ उसके इश्क का नशा मेरे सिर चढ़ने लगा था
मेरा भी ज़िस्म उसके ज़िस्म से मिलने को तरसने लगा था
मुझे इश्क के नशे में देख उसने मेरे ज़िस्म से वस्त्र को अलग किया था 
जिस काम की वो तलाश में था उसे वो काम करने का मोका मिला था
टूट पडा था वो मुझ पर, हवस में दर्द की सारी हद पार कर गया था 
उस रात वो पहली बार मुझे चेहरा उतार कर अपने असली रंग में मिला था
हवस मिटा कर अपनी उसने मुझे जमीन पर गिराया था
दिल की रानी कहता था जो उसने तवायफ कह बुलाया था
मोहब्बत उसे थी ही नहीं ज़िस्म को पाने के लिए उसने नाटक किया था 
मेरे प्यार मेरी मासूमियत के साथ खेल खेला था
फिर मुझे छोड कर पता नहीं कहा चला गया 
मोहब्बत की आड़ में शायद किसी ओर को तवायफ बनाने गया था
कितना वक़्त गुजर गया जख्म रूह के अब भी हरे है 
सोचती हु मोहब्बत के राह में क्यों इतने धोखे है 
हर मोड़ पर क्यों खडे जिस्मो के आशिक है #relationship
#goal
वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था 
पहचानती कैसे उसे चेहरे पर चेहरा लगा कर मिला था
क्या पता था दर्द उम्र भर का देगा 
वो दरिंदा बड़ा मासुम बन कर मिला था
पहली मुलाकत पर ही दिल में उतार गया था 
वो मुझे पूरी तय़ारी के साथ मिला था
देखते देखते वो मेरा हमराज बन गया 
कि हर दफा मुझे वो यकीन बन कर मिला था
माँ बाप से छुप कर उसको मिलने लगी थी
वो मुझे मेरा इश्क जो बन कर मिला था
हल्की सी मुस्कान लेकर वो मुझे छूता रहता था
वो हवसी मेरी हवस को जगाने की कोशिश करता था
वक़्त के साथ उसके इश्क का नशा मेरे सिर चढ़ने लगा था
मेरा भी ज़िस्म उसके ज़िस्म से मिलने को तरसने लगा था
मुझे इश्क के नशे में देख उसने मेरे ज़िस्म से वस्त्र को अलग किया था 
जिस काम की वो तलाश में था उसे वो काम करने का मोका मिला था
टूट पडा था वो मुझ पर, हवस में दर्द की सारी हद पार कर गया था 
उस रात वो पहली बार मुझे चेहरा उतार कर अपने असली रंग में मिला था
हवस मिटा कर अपनी उसने मुझे जमीन पर गिराया था
दिल की रानी कहता था जो उसने तवायफ कह बुलाया था
मोहब्बत उसे थी ही नहीं ज़िस्म को पाने के लिए उसने नाटक किया था 
मेरे प्यार मेरी मासूमियत के साथ खेल खेला था
फिर मुझे छोड कर पता नहीं कहा चला गया 
मोहब्बत की आड़ में शायद किसी ओर को तवायफ बनाने गया था
कितना वक़्त गुजर गया जख्म रूह के अब भी हरे है 
सोचती हु मोहब्बत के राह में क्यों इतने धोखे है 
हर मोड़ पर क्यों खडे जिस्मो के आशिक है #relationship
#goal