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मोहोब्बत तो बहुतों से हुई यारो, बस इसको भुलाने में

मोहोब्बत तो बहुतों से हुई यारो,
बस इसको भुलाने में वक़्त लग रहा है,
कौन सी उम्र भर साथ चलने की कसम खाई थी उसने,
जो उसे भुलाने में जमाना लग रहा है
कहा सुना उसने भी माफ कर दिया था,
कहा सुना मैंने भी माफ कर दिया था।
बस इक ये रात बसर नहीं होती उसकी याद में,
ना जाने इस रात में क्यों इतना वक़्त लग रहा है।
गुस्से से तो कब वाकिफ नहीं था मैं उसके,
बस उसकी खामोशी को समझने में वक़्त लग रहा है।
चीख चीख के कहती है ये दीवारें मुझसे,भूल जा उसे
उसे तुझे आवाज देने में बड़ा वक़्त लग रहा है। फ़िर उसी की याद
मोहोब्बत तो बहुतों से हुई यारो,
बस इसको भुलाने में वक़्त लग रहा है,
कौन सी उम्र भर साथ चलने की कसम खाई थी उसने,
जो उसे भुलाने में जमाना लग रहा है
कहा सुना उसने भी माफ कर दिया था,
कहा सुना मैंने भी माफ कर दिया था।
बस इक ये रात बसर नहीं होती उसकी याद में,
ना जाने इस रात में क्यों इतना वक़्त लग रहा है।
गुस्से से तो कब वाकिफ नहीं था मैं उसके,
बस उसकी खामोशी को समझने में वक़्त लग रहा है।
चीख चीख के कहती है ये दीवारें मुझसे,भूल जा उसे
उसे तुझे आवाज देने में बड़ा वक़्त लग रहा है। फ़िर उसी की याद
mahigusain4890

Mahi Gusain

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