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घर के खिड़की पे बैठा शाम को रात होते देखता हूँ जब

घर के खिड़की पे बैठा 
शाम को रात होते देखता हूँ जब ,

अंधेरों में पीछे छूटी 
हर चीज साफ़ साफ़ दिखाई देती है ।।
#vraj
घर के खिड़की पे बैठा 
शाम को रात होते देखता हूँ जब ,

अंधेरों में पीछे छूटी 
हर चीज साफ़ साफ़ दिखाई देती है ।।
#vraj