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न पहाड़ों सी ख़ूबसूरती थी मेरे पास न समंदर सा बड़ा दि

न पहाड़ों सी ख़ूबसूरती थी मेरे पास
न समंदर सा बड़ा दिल
न चाँद की ठंडक थी मेरे पास
न सूरज सी गर्मी
मैं तो खेतों,खलिहानों,मैदानों
और पठारों का रहनवार
मेरे पास था बस दुःख,द्वेष,
क्रोध,अपमान और अन्याय
और कुछ न होकर भी
कपोल-कल्पित उपलब्धियों का दम्भ! OPEN FOR COLLAB✨ #ATrandombg281
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

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Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts
न पहाड़ों सी ख़ूबसूरती थी मेरे पास
न समंदर सा बड़ा दिल
न चाँद की ठंडक थी मेरे पास
न सूरज सी गर्मी
मैं तो खेतों,खलिहानों,मैदानों
और पठारों का रहनवार
मेरे पास था बस दुःख,द्वेष,
क्रोध,अपमान और अन्याय
और कुछ न होकर भी
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