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उलझे मन मे ख्वाहिशों का दीवान बाकी है, रूठे तरंगों

उलझे मन मे ख्वाहिशों का दीवान बाकी है,
रूठे तरंगों को उकसाने का परवान बाकी है।
टूट जाएंगे हर दरवाज़े,जो दीवार बन खड़े है,
लहरों को क़ब्जे मे करने का,फ़रमान बाकी है।।
 
ढलते दिन में सहर देखने का उड़ान बाकी है,
बादलों से नीचे झांकने का अरमान बाकी है।
आँख के आसुंओं में देखना है खुशी के बूंदे,
कटे पतंगों को जोड़ने का अभियान बाकी है।।

खुद को सहारा देनेवाला वो इन्सान बाकी है,
कांटो पर भी मुस्कुराने का पहचान बाकी है।
दुनिया और मेरे बीच मे फ़ासला रखने वाला,
औकात नाम का अभिमानी,चट्टान बाकी है।। #NojotoQuote उलझे मन मे ख्वाहिशों का दीवान बाकी है,
रूठे तरंगों को उकसाने का परवान बाकी है।
टूट जाएंगे हर दरवाज़े,जो दीवार बन खड़े है,
लहरों को क़ब्जे मे करने का,फ़रमान बाकी है।।
 
ढलते दिन में सहर देखने का उड़ान बाकी है,
बादलों से नीचे झांकने का अरमान बाकी है।
आँख के आसुंओं में देखना है खुशी के बूंदे,
उलझे मन मे ख्वाहिशों का दीवान बाकी है,
रूठे तरंगों को उकसाने का परवान बाकी है।
टूट जाएंगे हर दरवाज़े,जो दीवार बन खड़े है,
लहरों को क़ब्जे मे करने का,फ़रमान बाकी है।।
 
ढलते दिन में सहर देखने का उड़ान बाकी है,
बादलों से नीचे झांकने का अरमान बाकी है।
आँख के आसुंओं में देखना है खुशी के बूंदे,
कटे पतंगों को जोड़ने का अभियान बाकी है।।

खुद को सहारा देनेवाला वो इन्सान बाकी है,
कांटो पर भी मुस्कुराने का पहचान बाकी है।
दुनिया और मेरे बीच मे फ़ासला रखने वाला,
औकात नाम का अभिमानी,चट्टान बाकी है।। #NojotoQuote उलझे मन मे ख्वाहिशों का दीवान बाकी है,
रूठे तरंगों को उकसाने का परवान बाकी है।
टूट जाएंगे हर दरवाज़े,जो दीवार बन खड़े है,
लहरों को क़ब्जे मे करने का,फ़रमान बाकी है।।
 
ढलते दिन में सहर देखने का उड़ान बाकी है,
बादलों से नीचे झांकने का अरमान बाकी है।
आँख के आसुंओं में देखना है खुशी के बूंदे,

उलझे मन मे ख्वाहिशों का दीवान बाकी है, रूठे तरंगों को उकसाने का परवान बाकी है। टूट जाएंगे हर दरवाज़े,जो दीवार बन खड़े है, लहरों को क़ब्जे मे करने का,फ़रमान बाकी है।। ढलते दिन में सहर देखने का उड़ान बाकी है, बादलों से नीचे झांकने का अरमान बाकी है। आँख के आसुंओं में देखना है खुशी के बूंदे,