बहोत दिनो से कहनी है एक बात, उमड़ रहे है दिल मे यह जज्बात, आज बैठ के मेरे पास, रख के दिल मे हाथ, ये बात मेरी सुन! ना धरम को चुन ना जात को चुन, ना लिंग को चुन ना नाम को चुन, इस धरती की पुकार को सुन, इंसानियत से बढ़के कोई नहीं, चुन सके तो मानवता को चुन! ना राम के नाम पे ना रहीम के नाम पे, इंसानो को ऐसे ना लूट, ना गीता ना कुरान, ना बाइबल ना गुरुग्रंथ साहिब, यह नहीं सिखाते आपस मे भेद-भाव, इनमे लिखी जरूरी बात को सुन, चुन सके तो मानवता को चुन! बस कहनी थी यही बात, सुन सके तो ये बात मेरी सुन, इंसानियत से बढ़के कोई नहीं, चुन सके तो मानवता को चुन!! बहोत दिनो से कहनी है एक बात, उमड़ रहे है दिल मे यह जज्बात, आज बैठ के मेरे पास, रख के दिल मे हाथ, ये बात मेरी सुन! ना धरम को चुन ना जात को चुन, ना लिंग को चुन ना नाम को चुन, इस धरती की पुकार को सुन,