जी नहीं,वह सूखा नहीं उसे सुखा दिया मैंनै, बहाकर भी क्या करती इसीलिए थमा दिया झरने। मैं स्वयं को पीडित,निस्सहाय दिखा सहानुभूति नहीं थी चाहती आत्मसम्मान की प्रेरणा देने वाली मैं सबको आँसू बहा उनके आगे कायर ना बनती।। आँखों का पानी सूख गया, मेरा साजन मुझसे रूठ गया। #आँखोंकापानी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi