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रवि तुम नित प्रतिदिन प्रभात में। लाते धवल ज्योति स

रवि तुम नित प्रतिदिन प्रभात में।
लाते धवल ज्योति साथ में।
क्या रहस्य, उत्साह-जोश का।
नभ-जीवन और तेज साथ में।

भोर हुआ आरंभ लाल में।
भव्य भेष प्रातःकाल में।
चमक-दमक संग आप्राह्न।
और मस्त-मधुर हो सायंकाल में।

हर कोई सूरज बनना चाहे।
पर ये पद कोई छू ना पाये।
श्वेत,तेज,तप,श्रम संयोजित।
पथ ये कोई चल ना पाये।

©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
  #woshaam#रवि