"ख़ाब ज्यादा बड़ा नहीं था मेरा, बस इतना सा ही था कि ... उस छोटे हिल स्टेशन की सर्द सुबह जब तुम अलसाई सी जागती, तो तुम्हारे थरथराते लबों के अशुद्ध व्याकरण से मैं अपने जीवन की परिभाषा लिख लेता।।" अशुद्ध व्याकरण.....