अल्फ़ाज़ो से भरा एक समंदर है बाहर कहां ढूंढते हो साहब वो मेरे मन के अंदर है वो बातें, वो वक्त चुभता मानो खंजर है चोट जिस्म पर दिखती नहीं पर दर्द मेरी शायरी के अंदर है -Rv✍ दर्द शायरी के अंदर है