Nojoto: Largest Storytelling Platform

नींदें जब बग़ाबत करती हैं रातों से मुश्किल है बतान

नींदें जब बग़ाबत करती हैं रातों से
मुश्किल है बताना रोया किन बातों से

तुम नाराज़ हो मेरे देर से आने पे 
मैं कैसे बताऊं आया किन हालातों से

तुम्हें हर बात बताऊं तो तुम क्यूं हो
तुम तो सब पता करती मेरी आंखों से 

बहुत अजीब शहर है उम्मीदों का
आख़िर ये भी टूटा अपनो के हाथों से 

ग़ैरों से भला अब क्या ही शिकवा करना
मुझे नाराज़गी है अपने रिश्ते नातों से

मिल कर बिछड़ना कैसे अच्छा लगता, सो 
रोकता हूं ख़ुद को आख़िरी मुलाक़ातों से

©शायवी
  #Shayari #Poetry #ghazal #status #shayavi #shayavipoetry