मेरे वेणु गोपाल, वेणु हूं मैं तुम्हारी तुम्हारे पवित्र करों एवं मधुर अधरों के पावन स्पर्श से प्रिय मैं ढल गई मधुर सुरीली तानों में, नहीं तो क्या औकात थी मेरी इस भरे पूरे ज़माने में । मैं बांस की पोरी, गर्म सलाखों से बिंधित, बांसुरी का रूप लिए, वन से वृंदावन आ गई। किन्हीं पुण्य कर्मों से अपने प्रियतम को भा गई मेरे मुरली मनोहर! मेरे आराध्य! ये ज्ञान ध्यान योग प्रसारित कर दो जिस को चाहो उसको दे दो, मुझे वंशी धर तुम्हारी तिरछी चितवन ही प्यारी है। वेणु की तरह तुम्हारे सान्निध्य की चाह लिए युगल चरणों में समर्पिता ये वीणा बस तुम्हारी है।। ©Veena Kapoor वेणुगोपाल बांस की पोरी वृंदावन समर्पित #DearKanha