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रूठे सईया को अबकी मनाऊं कइसे राज़ की बात लब पे मैं

रूठे सईया को अबकी मनाऊं कइसे
राज़ की बात लब पे मैं लाऊं कइसे
रूठे सईया को.......
सासु ननद अब पूछन लागी
मैं तो हुई बिन तेल की बाती
जले तन मन में अगिया बुझाऊं कइसे
रूठे सईया को...…...
सावन भादों बन गई अखियां
ना जाने क्यों धड़के छतिया
कहना चाहूं पर कह पाऊं कइसे
रूठे सईया को.........
कोऊ न सुने विरहन की बातें
जीवन टुकुर टुकुर बस ताके
"सूर्य" उलझन ये सुलझाऊ कइसे
रूठे सईया को.........

©R K Mishra " सूर्य "
  #रूठे  Alka Pandey Ashutosh Mishra Sethi Ji अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Rama Goswami