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खुद को उम्मीद से जगाया था, किसी ने मुझे फिर से निख

खुद को उम्मीद से जगाया था,
किसी ने मुझे फिर से निखारा था,
आज एक मोड़ पे खड़ा हूँ,
जहा से कभी फिर से न गुजरने का सोच था,
खुद को पत्थर बनते देखना,
मेरी रूह ने कभी नही सोचा था।।।।

 #में_और_मेरे_अहसास
खुद को उम्मीद से जगाया था,
किसी ने मुझे फिर से निखारा था,
आज एक मोड़ पे खड़ा हूँ,
जहा से कभी फिर से न गुजरने का सोच था,
खुद को पत्थर बनते देखना,
मेरी रूह ने कभी नही सोचा था।।।।

 #में_और_मेरे_अहसास
hum9400790024816

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