मैं बाँधती रही हमारे रिश्तों की डोर को, उसने दो पल में सबकुछ उलझा दिया, जरुरी हो छोड़कर ना जाना गैरों को जता दिया, हाँ शिकायत नहीं उन गैरों से जब अपनों ने दगा किया, उलझे इन रिश्तों ने अब तो सबकुछ उलझा दिया, सितम आपने जो किया बीते उन पलों पर हँसना आ गया, मोहब्बत और मजबूरी में फर्क तो समझते थे आप? फिर क्या खता थी हमारी की झूठा प्यार आपको आ गया, लोगों को जानते समझते इतना समझ आ गया, लोग होते कुछ है दिखाते कुछ है और छुपाते बहुत कुछ है, पर ये सब सोच जानकर तरस हमको भी आप पर आ गया, सुनो! रब हर बात का बेहतरीन जवाब दे किया आपने जो वो आपको दोगुना मिले। ©Priya Gour 🖤🖤 shi khte h jisne b kha jo sbka hota h vo kisika nhi hota😜 sawdhan rhe satark rhe... uff ye 🤨bhle log #Thoughts #realityoflife #27May 8:56