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बड़ी सिद्दतों गम़ से जिंदगी गुजऱ रही थी, तुम मिल

बड़ी सिद्दतों गम़ से  जिंदगी गुजऱ रही थी,
तुम मिले तो मजबूर होकर मुस्कुराना ही पड़ा।




कवि/शायऱ
सुफियान"सिद्दिकी"
अररिया बिहार,। मुस्कुराना ही पड़ा।
बड़ी सिद्दतों गम़ से  जिंदगी गुजऱ रही थी,
तुम मिले तो मजबूर होकर मुस्कुराना ही पड़ा।




कवि/शायऱ
सुफियान"सिद्दिकी"
अररिया बिहार,। मुस्कुराना ही पड़ा।

मुस्कुराना ही पड़ा। #thought