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"अनुपम" अंदाज में, ज़िन्दगी को जिये जाता हूँ मैं। ज

"अनुपम" अंदाज में, ज़िन्दगी को जिये जाता हूँ मैं।
जिसने दिया मुझको प्यार, उसका हो जाता हूँ मैं।

हर किसी के चेहरे पर, मुस्कुराहट चाही है हमेशा।
इसलिए जो भी मिले मुझको, उसको हँसाता हूँ मैं।

कभी-कभी ख़्वाब, हक़ीक़त में तब्दील हो जाते हैं।
इसलिए इन आँखों में, कई ख़्वाब सजाता हूँ मैं।

किसी को पीछे कर, आगे बढ़ना अच्छी बात नहीं।
इसलिए ज़िन्दगी की दौड़ में, पीछे रह जाता हूँ मैं।

गलतियां करने से ही इंसान, सही काम सीखता है।
इसलिए हर बार कई गलतियाँ, करता जाता हूँ मैं।

ठोकरें खाई हैं बहुत, मैंने इस ज़िन्दगी में अपनी।
इसलिए तो आज थोड़ा, सही से चल पाता हूँ मैं।

एक ना एक दिन मिलेगी, मेरे कदमों को मंजिल।
इसी उम्मीद में रोज, बस चलता ही जाता हूँ मैं।।

©RAMESH CHANDRA "ANUPAM"
  #अनुपम