शीर्षक : दाग विधा : कविता अजब के लोग यहां और गजब का जमाना है। ये दाग नई तो नहीं बड़ा ही पुराना है।। तेरे हर वो पल को खुद अपनाने वाली हरदम। तेरे हर वो गहरे दाग को छुपाने वाली हरदम।। उनकी जीवन में एक दाग आई तुम छोड़ गए। जिनकी सारे अरमान तुम थे जो पल में तोड़ गए।। क्या खता होती है उनकी क्या तेरी खता ना। जरा हम भी तो सुने अपनी मुंह से बता ना।। दाग तो चांद में भी है ये जमाना कहता है। प्यार की प्रशंसा चांद से करते हैं ये दीवाना कहता है।। जिनमें दाग हो वो ग़लत हों ये कोई जरूरत नहीं। जिन पर दाग लगा हो क्या वो खूबसूरत नहीं।। खुद पर ही दाग लगाऐं ये तो तमन्ना ना किसी की। कैसे निकल जाऊं बेनकाब ये जमाना ना किसी की।। ✍️ नंदन मिश्र जहानाबाद, बिहार 📞7323072443 Insta. @nandan_mshra #opensky By:- Nandan mishra