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क़भी शाम ढले बस तुम ही आओ न, कुछ धीमी-सी अपनी सुगंध

क़भी शाम ढले बस तुम ही आओ न,
कुछ धीमी-सी अपनी सुगंध बन बस जाओ न

जो अटके अभी तक कहीं सीने में तुम्हारे लिए,
वो सभी अनकहे जज़्बात भी अब समझ जाओ न

"हिमांश" कोई रहेगा नहीं है सिर्फ़ तुम्हारे बिना,
 इस ज़िन्दगी में अब बस मेरा इतना ही कहा मान जाओ न

क़भी शाम ढले बस तुम, और तुम ही हमेशा के लिए रह जाओ न॥
(बस तुम)

©Himanshu Tomar #हिमांश #बस_तुम #सुगंध #आओ_न #ज़िन्दगी #साथ  #ताउम्र #life #first_n_last_wish
#WritingForYou
क़भी शाम ढले बस तुम ही आओ न,
कुछ धीमी-सी अपनी सुगंध बन बस जाओ न

जो अटके अभी तक कहीं सीने में तुम्हारे लिए,
वो सभी अनकहे जज़्बात भी अब समझ जाओ न

"हिमांश" कोई रहेगा नहीं है सिर्फ़ तुम्हारे बिना,
 इस ज़िन्दगी में अब बस मेरा इतना ही कहा मान जाओ न

क़भी शाम ढले बस तुम, और तुम ही हमेशा के लिए रह जाओ न॥
(बस तुम)

©Himanshu Tomar #हिमांश #बस_तुम #सुगंध #आओ_न #ज़िन्दगी #साथ  #ताउम्र #life #first_n_last_wish
#WritingForYou
himanshutomar9779

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