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जीवन का चलचित्र (लघुकथा)
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परदे के चलचित्र और असल जीवन के चलचित्र में बहुत अंतर होता है। असल जीवन में ईश्वर और भाग्य कभी कभी दूसरा मौका नहीं देता और हम जो गलती करते हैं उसका बाद में ताउम्र पछतावा होता है।    

      एक दिन यूनिवर्सिटी से छुट्टी के दिन अगस्त के महीने में सभी दोस्त मिलकर पिकनिक मनाने के लिए निश्चित समय पर तैयार होकर टेंपो ट्रैवलर से सोनांचल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ज़मीं पर गिरता विंडम झरना जो बहुत सुंदर प्रकृति के बीच में रमणीय स्थल है, वहांँ के लिए घूमने गए। सोनभद्र जिले में बहुत सारे मौसमी बरसाती झरने बहते हैं। बरसात के मौसम में इसमें बहाव बहुत ही तेज़ हो जाता है। ठीक दिन के 11 बजे हमलोग वहांँ विंडम पहुंँच गए। फिर अभी ग्रुप बनाकर इधर उधर घूमने लगे कुछ हमारे दोस्त झरने में जहांँ थोड़ा पानी का बहाव तेज था उसमें पैर डाल कर बैठ गए। कभी कभी इन झरनों में ऊपर बारिश होने पर तेजी से पहाड़ों से पानी के गिरने से बहाव बहुत ही खतरनाक हो जाता है। उस दिन भी कुछ ऐसा ही अनहोनी घटना घटी थी। हम सब लगभग दोपहर के 1 बजे कुछ स्नैक्स खाकर आस पास में टहलने लगे और जो दोस्त पानी के पास बैठे थे आचनक झरने में पानी बहुत तेज ऊपर से गिरने लगा, जिसके कारण बहाव तेज़ होने से चारों दोस्त घबरा कर उठने लगे तभी एक शिवेश का पैर पत्थर पर फिसला और झरने।में गिर गया। झरने के गहराई बहुत नहीं थी लेकिन बहाव तेज़ होने के कारण उसका शरीर तेजी आगे बहाने लगा। हम सब अभी कुछ समझ पाते वो मदद के लिए चिल्लाया पर डर के वजह से किसी ने भी हिम्मत नहीं दिखाई। तुरंत पुलिस मदद के लिए फोन किया। पुलिस जब तक बचाव दल को लेकर पहुंची उसका शरीर हमलोगों के नज़रों से दूर जा चुका था। देर रात 11 बजे बहुत ढूँढने के बाद उसका मृत शरीर मिला। पत्थरों से टकरा कर पूरे शरीर में चोट लग गई थी। हमलोग का डर और रोने से बहुत ही बुरा हाल था। पुलिस ने शिवेश के घर फोन कर सूचना दी। हम सब यही सोच रहे थे कि जीवन चलचित्र नहीं है जो रिवाइंड कर उसको ठीक कर सकें। वो हम लोग के आँखों के सामने जीवन का सबसे दर्दनाक घटना है जब कभी भी याद आ जाता है रूह काँप उठता है। 
रचना नंबर 1 जीवन का चलचित्र (लघुकथा)
#कोराकाग़ज़ 
#kkpc24 
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#विशेषप्रतियोगिता 
#yqdidi 
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परदे के चलचित्र और असल जीवन के चलचित्र में बहुत अंतर होता है। असल जीवन में ईश्वर और भाग्य कभी कभी दूसरा मौका नहीं देता और हम जो गलती करते हैं उसका बाद में ताउम्र पछतावा होता है।    

      एक दिन यूनिवर्सिटी से छुट्टी के दिन अगस्त के महीने में सभी दोस्त मिलकर पिकनिक मनाने के लिए निश्चित समय पर तैयार होकर टेंपो ट्रैवलर से सोनांचल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ज़मीं पर गिरता विंडम झरना जो बहुत सुंदर प्रकृति के बीच में रमणीय स्थल है, वहांँ के लिए घूमने गए। सोनभद्र जिले में बहुत सारे मौसमी बरसाती झरने बहते हैं। बरसात के मौसम में इसमें बहाव बहुत ही तेज़ हो जाता है। ठीक दिन के 11 बजे हमलोग वहांँ विंडम पहुंँच गए। फिर अभी ग्रुप बनाकर इधर उधर घूमने लगे कुछ हमारे दोस्त झरने में जहांँ थोड़ा पानी का बहाव तेज था उसमें पैर डाल कर बैठ गए। कभी कभी इन झरनों में ऊपर बारिश होने पर तेजी से पहाड़ों से पानी के गिरने से बहाव बहुत ही खतरनाक हो जाता है। उस दिन भी कुछ ऐसा ही अनहोनी घटना घटी थी। हम सब लगभग दोपहर के 1 बजे कुछ स्नैक्स खाकर आस पास में टहलने लगे और जो दोस्त पानी के पास बैठे थे आचनक झरने में पानी बहुत तेज ऊपर से गिरने लगा, जिसके कारण बहाव तेज़ होने से चारों दोस्त घबरा कर उठने लगे तभी एक शिवेश का पैर पत्थर पर फिसला और झरने।में गिर गया। झरने के गहराई बहुत नहीं थी लेकिन बहाव तेज़ होने के कारण उसका शरीर तेजी आगे बहाने लगा। हम सब अभी कुछ समझ पाते वो मदद के लिए चिल्लाया पर डर के वजह से किसी ने भी हिम्मत नहीं दिखाई। तुरंत पुलिस मदद के लिए फोन किया। पुलिस जब तक बचाव दल को लेकर पहुंची उसका शरीर हमलोगों के नज़रों से दूर जा चुका था। देर रात 11 बजे बहुत ढूँढने के बाद उसका मृत शरीर मिला। पत्थरों से टकरा कर पूरे शरीर में चोट लग गई थी। हमलोग का डर और रोने से बहुत ही बुरा हाल था। पुलिस ने शिवेश के घर फोन कर सूचना दी। हम सब यही सोच रहे थे कि जीवन चलचित्र नहीं है जो रिवाइंड कर उसको ठीक कर सकें। वो हम लोग के आँखों के सामने जीवन का सबसे दर्दनाक घटना है जब कभी भी याद आ जाता है रूह काँप उठता है। 
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