"सज़ा ए मौत" मेरी ख़्वाहिशों ने मेरी जान ले रखी है सो मैंने मुक़द्द्ममा कर दिया, अपनी ख़्वाहिशों के ख़िलाफ़, अपने दिल की अदालत में.. और सभी गवाहों और बयानात को मद्देनज़र रखतें हुए, मेरी ख्वाहिशें मुजरिम करार पायी जाती है... इसलिए मेरे दिल की अदालत, मेरी ख़्वाहिशों को सज़ा ए मौत देती हैं .. तो बताओं ऐ ख़्वाहिशों ... . तुम्हारी कोई आखिरी ख़्वाहिश ? -Saad Ahmad "सज़ा ए मौत" #Hindikavita