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जम्हूरियत नज़र नहीं आती। बंद हाथों में बेड़ियां, क

जम्हूरियत नज़र नहीं आती।
बंद हाथों में बेड़ियां, क्यूं नजर नहीं आती।।
एक दौर ऐसा था एक और ऐसा है।
अम्मी को अब नींद नही आती।।
क्या धुंध क्या खौफ फैला है।
अब लड़कियां घर से बाहर  नही आती।।
किस जम्हूरियत के चर्चे हैं।
अब अधेरे में रोशनी नहीं आती।। जम्हूरियत
जम्हूरियत नज़र नहीं आती।
बंद हाथों में बेड़ियां, क्यूं नजर नहीं आती।।
एक दौर ऐसा था एक और ऐसा है।
अम्मी को अब नींद नही आती।।
क्या धुंध क्या खौफ फैला है।
अब लड़कियां घर से बाहर  नही आती।।
किस जम्हूरियत के चर्चे हैं।
अब अधेरे में रोशनी नहीं आती।। जम्हूरियत

जम्हूरियत