Tu तो ठहर एक अजनबी कैसे बताऊ हर बात मुश्क़िल के गड़ी जब बातोँ से हुई बड़ी..ओह अजनबी वास्ता है तुझे तेरी भगवान का कयामत कडाह करदूंगा पल में अजनबी..तेरे याद क्यों स्थाई मूझे जितने तुझे खोशिश से रखूँ दूर Tu क्यूँ बस्ती है मेरी नज़ारों में.. नाम न पता है मेरी पास तुम्हारे.. एक झलक में हुई मेरी ज़िंदगी की ख़्वाब अजनबी अब लगी तू कम, और लगे खुदसे #130# #yqhindipoetry# #yqdidi# #yqbaba# #yqhindi#