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हजारों हशरतें नाकाम सी हैं। सुबह ऐसी दिखती है जैसे

हजारों हशरतें नाकाम सी हैं।
सुबह ऐसी दिखती है जैसे शाम सी है।
लगी है आग अब तो अंजुमन में ,आशियाने में,
नया यह दौड़ है क्या इसका ,खुशनुमा अंजाम भी है। हशरतें
हजारों हशरतें नाकाम सी हैं।
सुबह ऐसी दिखती है जैसे शाम सी है।
लगी है आग अब तो अंजुमन में ,आशियाने में,
नया यह दौड़ है क्या इसका ,खुशनुमा अंजाम भी है। हशरतें