मन कागज़ की नाव किनारे के पास ही तो है तेरा गांव क्या कभी बन पाऊंगा मैं ऐसी हस्ती जो घनी लहरों को लांघकर किनारे लगाए अपनी कश्ती डुब जाने का नहीं है डर दरिया पार करके भी मैं आ जाऊं अगर जो तुम ना मिली तो जाया होगा ये सफर फर्जी शायर मन काग़ज़ की नाव, जैसी हवा वैसा इसका बर्ताव। #मन #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #नाव #kagazkikashti #safar #hindipoetry