#OpenPoetry मैंने तो सिर्फ प्रेम किया ! प्रेम तो किया था मैंने तुमसे अपनी आँख और दिमाग दोनों बंद कर के; जबकि कई बार मेरी इंद्रियां सक्रिय होकर जताती रही विरोध; तभी तो करता रहा मैं नज़र अंदाज़ विरोध अपनी ही इन्द्रियों का; क्योंकि मैंने तो पढ़ा था प्रेम में कभी तार्किक नहीं हुआ जाता; और मैं कभी हुआ भी नहीं परन्तु तुमने तो कभी कोई बात मेरी मानी ही नहीं; जब-तक की तुमने उस बात को आज़माया नहीं क्योंकि तार्किक हो तुम; पर क्या तुमने कभी पढ़ा नहीं या सुना भी नहीं की प्रेम में कभी किसी तरह के तर्क की कोई जगह नहीं होती; इसलिए मैंने अपने हिस्से का प्रेम किया और तुमने अपने हिस्से का तर्क; प्रेम तो किया था मैंने तुमसे अपनी आँख और दिमाग दोनों बंद कर के ! # sramverma #प्रेम #तर्क #विश्वास