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#OpenPoetry मैंने तो सिर्फ प्रेम किया ! प्रेम तो

#OpenPoetry मैंने तो सिर्फ प्रेम किया !

प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 
अपनी आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर के;
जबकि कई बार मेरी 
इंद्रियां सक्रिय होकर  
जताती रही विरोध;
तभी तो करता रहा मैं   
नज़र अंदाज़ विरोध 
अपनी ही इन्द्रियों का;
क्योंकि मैंने तो पढ़ा था 
प्रेम में कभी तार्किक नहीं 
हुआ जाता;
और मैं कभी हुआ भी नहीं 
परन्तु तुमने तो कभी कोई 
बात मेरी मानी ही नहीं;
जब-तक की तुमने उस बात
को आज़माया नहीं क्योंकि
तार्किक हो तुम;
पर क्या तुमने कभी पढ़ा नहीं
या सुना भी नहीं की प्रेम में कभी
किसी तरह के तर्क की कोई जगह 
नहीं होती;
इसलिए मैंने अपने हिस्से का 
प्रेम किया और तुमने अपने 
हिस्से का तर्क;  
प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 
अपनी आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर के ! # sramverma #प्रेम #तर्क #विश्वास
#OpenPoetry मैंने तो सिर्फ प्रेम किया !

प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 
अपनी आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर के;
जबकि कई बार मेरी 
इंद्रियां सक्रिय होकर  
जताती रही विरोध;
तभी तो करता रहा मैं   
नज़र अंदाज़ विरोध 
अपनी ही इन्द्रियों का;
क्योंकि मैंने तो पढ़ा था 
प्रेम में कभी तार्किक नहीं 
हुआ जाता;
और मैं कभी हुआ भी नहीं 
परन्तु तुमने तो कभी कोई 
बात मेरी मानी ही नहीं;
जब-तक की तुमने उस बात
को आज़माया नहीं क्योंकि
तार्किक हो तुम;
पर क्या तुमने कभी पढ़ा नहीं
या सुना भी नहीं की प्रेम में कभी
किसी तरह के तर्क की कोई जगह 
नहीं होती;
इसलिए मैंने अपने हिस्से का 
प्रेम किया और तुमने अपने 
हिस्से का तर्क;  
प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 
अपनी आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर के ! # sramverma #प्रेम #तर्क #विश्वास