कहीं मंदिरों में दिया नहीं कहीं मस्जिदों में दुआ नहीं मेरे शहर में है खोदा बहोत मगर आदमी का पता नहीं मैं भीड़ हूं ना सोर हू मैं इसीलिए कोई और है कई रंग आए गए मगर कोई रंग मुझ पर चढ़ा नहीं कहीं यूं ना हो तेरे हाथ में मै मिलकर हवा से भड़क उठु अभी खेल मत मेरी राख से मैं सुलग रहा हूं बुझा नहीं ये जो दिल में दर्द का राग है ये दबी हुई कोई आग है मैं वो जख्म हूं जो भरा नहीं मैं वो दाग हूं जो मिटा नहीं ©Lucky Boy kahin Mandir mein Diya nahin kahin masjid mein dua nahin #Butterfly #OctoberCreator #Nojoto #Shayari #ghazal #Poetry