"रावण" मोहल्ले के नजर में खास है वो वो उपवास है नवरात्र के नौ दिन का हर साल की तरह इस साल भी मां के नौ विभिन्न रूपों का पूछने पर परिचय में वो स्वयं को बताता है मां का पुत्र ! बहुत किस्मत वाला है वो परिवार में हैं नौ महिलाएं उसके पत्नी, मां, बहन, बहू, बेटी बुआ, पोती, भांजी और भतीजी जैसे साक्षात मां के नौ रूप ! सुबह जल्दी उठ जाता है वो घर से आती है ध्वनि घंटियों की और उच्चारण की आवाज मंत्रों के लेकिन पता नहीं क्या हो गया आज बदली हुई थी सभी ध्वनियां आ रही थीं कुछ करकश आवाजें ! बार बार मां की ध्वनि तो आती थी लेकिन साथ में लगे होते थे कई अपशब्द वो आवाज थी मां को गाली देने की ! नहीं नहीं जिस मां का उपवास है वो उस मां को नहीं , बिल्कुल नहीं उस मां को भी नहीं - जिसने जन्म दिया उसे उसने गाली दी उसको - जो अर्धांगिनी है उसकी! जो मां है उसके पुत्र की ! क्या रह गया था कोई औचित्य उपवास का ! वो सब सुन कर आत्मा कांप गई घर के नौ महिलाओं की और कांप गई होगी मां भी जिसका उपवास था वो नौ दिन ! है नहीं कोई ये नई बात , ये तो आदत है उसकी या फिर कहें कि आंनद आता है उसे आंनद जिसमें विलुप्त होती है शर्म ! विलुप्त हो गई उसकी इज्जत भी आज अनगिनत अपशब्दों के साथ उपवास था कि मां का हो घर में वास आज प्रकट हो जाती स्वयं मां सिद्धि करने को विनाश ऐसी मानसिकता की लेकिन रोक लिया ऐसा होने से उसकी अर्धांगिनी के पतिव्रता ने ! इस बहाने भी नहीं पाया वो मां के दर्शन जैसे स्वर्ग गया था, सीता के बहाने "रावण" ! #Poetic_Pandey #navratri मोहल्ले के नजर में खास है वो वो उपवास है नवरात्र के नौ दिन का हर साल की तरह इस साल भी मां के नौ विभिन्न रूपों का पूछने पर परिचय में वो स्वयं को बताता है मां का पुत्र ! बहुत किस्मत वाला है वो