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✍कविता🕵‍♀️ क्या दिन थे वो बचपन के, जब दोस्त होते

✍कविता🕵‍♀️
क्या दिन थे वो बचपन के, 
जब दोस्त होते 7,12 और 55 के,, 
क्या दिन थे..... 
खाली - पीली मस्त हो गए, कार्टून्स मूवी में व्यस्त हो गए,, 
दूल्हा बनते, दुल्हन बनाते, बिन फेरों के ब्याह रचाते
और खेल ऐसे खेलते कि टुकङे होते दर्पण के। 
क्या दिन थे..... 
मम्मी नहलातीं पर हम ना नहाते, पानी से तो बड़े इतराते
पोखर को स्विमिंग पूल समझते और पेड़ों की तहनियों पर
खेल ऐसे खेलते कि गुणधर्म होते बंदर से  ।। 
क्या दिन थे..... 
होम वर्क तो कभी ना करते पर हाँ मैडम जी कल दिखा देंगे
 ऐसा वादा हर रोज करते, सरजी कितना भी लाड़ दिखाएँ पर
मैडम ही कक्षा में रहें, यही कामना करते थे  ।।। 
क्या दिन थे..... 
मुस्कान प्यारी - चाल न्यारी ऐसा लड़कियाँ कहतीं थी, 
और लगता साथ उनका सबसे प्यारा पर
नटखट नीयत रखते थे IV
क्या दिन थे..... 
कल की कल को देखते, आज में खुलके जीते थे, 
टेंशन जाती पेंशन लेने करतब ऐसे करते थे V
क्या दिन थे.....

©Writer Veeru Avtar Kya din the wo bachpan ke

#NojotoRamleela
✍कविता🕵‍♀️
क्या दिन थे वो बचपन के, 
जब दोस्त होते 7,12 और 55 के,, 
क्या दिन थे..... 
खाली - पीली मस्त हो गए, कार्टून्स मूवी में व्यस्त हो गए,, 
दूल्हा बनते, दुल्हन बनाते, बिन फेरों के ब्याह रचाते
और खेल ऐसे खेलते कि टुकङे होते दर्पण के। 
क्या दिन थे..... 
मम्मी नहलातीं पर हम ना नहाते, पानी से तो बड़े इतराते
पोखर को स्विमिंग पूल समझते और पेड़ों की तहनियों पर
खेल ऐसे खेलते कि गुणधर्म होते बंदर से  ।। 
क्या दिन थे..... 
होम वर्क तो कभी ना करते पर हाँ मैडम जी कल दिखा देंगे
 ऐसा वादा हर रोज करते, सरजी कितना भी लाड़ दिखाएँ पर
मैडम ही कक्षा में रहें, यही कामना करते थे  ।।। 
क्या दिन थे..... 
मुस्कान प्यारी - चाल न्यारी ऐसा लड़कियाँ कहतीं थी, 
और लगता साथ उनका सबसे प्यारा पर
नटखट नीयत रखते थे IV
क्या दिन थे..... 
कल की कल को देखते, आज में खुलके जीते थे, 
टेंशन जाती पेंशन लेने करतब ऐसे करते थे V
क्या दिन थे.....

©Writer Veeru Avtar Kya din the wo bachpan ke

#NojotoRamleela