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पल्लव की डायरी दर्दो में जीना,सजा जिंदगी की बन गयी

पल्लव की डायरी
दर्दो में जीना,सजा जिंदगी की बन गयी है
चाहत बराबरी की लगाकर,कई पीड़ा लग गयी है
कोई किसी को  कैसे कम आँकें
सब को अपने जीवन बनाने की लौ जल गयी है
आजादी और मस्ती की धुन में
परिवार वाद की चौखट घायल हो गयी है
जिम्मेदारियों सारी मेरे खूटे से बन गयी है
दादी बाबा चाचा चाची सब की रस्मे 
एक गले मे बंध गयी है
मर्ज पाल पाल कर हालत अपनी तंग हो गयी है
ना रुकना ना थकना ना विश्राम होता है
कई बीमारियां दावत दे गयी,शरीर खोखला दिखता है
रूटीन दवाओं पर आश्रित जीवन
फिर भी दौड़ जारी रखना है
हैसियत कम हो न जाये,जंग जारी रखना है
                                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" हैसियत कम हो ना जाये, जंग जारी रखना है
#मर्ज़ #मर्ज़
पल्लव की डायरी
दर्दो में जीना,सजा जिंदगी की बन गयी है
चाहत बराबरी की लगाकर,कई पीड़ा लग गयी है
कोई किसी को  कैसे कम आँकें
सब को अपने जीवन बनाने की लौ जल गयी है
आजादी और मस्ती की धुन में
परिवार वाद की चौखट घायल हो गयी है
जिम्मेदारियों सारी मेरे खूटे से बन गयी है
दादी बाबा चाचा चाची सब की रस्मे 
एक गले मे बंध गयी है
मर्ज पाल पाल कर हालत अपनी तंग हो गयी है
ना रुकना ना थकना ना विश्राम होता है
कई बीमारियां दावत दे गयी,शरीर खोखला दिखता है
रूटीन दवाओं पर आश्रित जीवन
फिर भी दौड़ जारी रखना है
हैसियत कम हो न जाये,जंग जारी रखना है
                                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" हैसियत कम हो ना जाये, जंग जारी रखना है
#मर्ज़ #मर्ज़