ये कसूर थोड़ा हमारा सबका है इस हवानियत को बदलने वाला ना हम में कोई तबका हैं। जनुन बस मोमबत्तियों और व्हाट्सअप तक सीमित है कहानी बदलने का वक़्त किसको है। अपनों पे बात आए तो दुनियां ख़तम सी दिखती है दूसरों से पूछो फिर बेटियां कैसे दुबक के चलती है। जीती क्या है वो अपनी जिंदगी बस गुट गुट के मरती हैं । थोड़ा सोच को बदलने का प्रयास करो दूसरों की बेटियों, बहनों, को अपना समजने का एहसास करो.... ©Drx. Mahesh Ruhil #Stoprape #hangtilldeath#nojoto