तुम्हें मेरी क़सम ............................. इश्क़ की चादरें ओढ़के सो गया। मुझको ऐसा लगा मैं तेरा हो गया। मैं तेरी चाहतों का तलबगार हूँ। बिन तेरे ओ सनम मैं तो बेज़ार हूँ। मेरा कुछ भी नहीं तुम नहीं जो मेरी मैं फ़क़त बिन तेरे यार बेकार हूँ आश्ना हो गई वासना की मुझे तुमसे दूरी लगी यातना सी मुझे ये महकता बदन ये बहकता सा मन सब्र भी बे-सबर अब मेरा हो गया इश्क़ की चादरें ओढ़के सो गया। मुझको ऐसा लगा मैं तेरा हो गया। साथ देना.... तुम्हें मेरी क़सम --------------------- रूह से रूह का तुमसे नाता सनम तुम मेरे ही रहो हर जनम हर जनम बन गई हो मेरी ज़िन्दगी तुम सनम दूर जाती हो तो मेरा निकले है दम अब नहीं रह सकूँ तेरे बिन मैं कभी