जो खो गया इस भीड़ में , उसका वजूद ढूंढ़ लाना हैं, आज क्रान्ति की मशाल जलाना हैं, मेरी कलम को आज सच कुछ कह जाना है, ये इतनी दुरुह हो गई कि अब नही हैं आसान समझ पाना हैं, ये दिल से करती हैं भारतीय सेना को सलाम, उनके जज़्बे को अपने अन्तर्मन से लिख जाती हैं, ये जवान ही भारत का ओज बढ़ाते हैं, हैं हमारे किसान जो संसार का पेट भर जाते है, यही हैं जो जय जवान, जय किसान कहलाते है, ये अपने काले स्याह से शान्ति का संदेश फैलाती हैं, सच आज मेरी कलम मदमस्त हो लिखना चाहती हैं, आज ये प्यार के नग़मे भी रचाती हैं, ये अपने रस से कोरे कागद को रंग जाती हैं, यहिं हैं जो आज साहित्य को स्थायित्व देती हैं, सच मेरी कलम मदमस्त हो कुछ कहती हैं, मुझे तू ही प्यारी हैं यारा, तेरे बिन नही जीना हमारा, तू ही मेरी पहली मोहब्बत का इजहार हैं, तू ही मेरी कलम मेरी दोस्त हर बार हैं। #क़लम #कागज़ #मदमस्त #poetry #मेरीक़लमसे #myquote #profoundwriters #dailychallenge