हे कृष्ण (अनुशीर्षक में पढ़ें) हे कृष्ण हे कृष्ण, तुम प्रीत हो, तुम ही प्रेम का सार हो इस जग रूपी भवसागर से, तुम ही लगाते सबको पार हो तुम्हारी भक्ति से मिलता सुख,