कई ख्व़ाब देखे थे ...आसमान में उङने के , अपनी छोटी सी दुनिया बसाने के , हर दिल में बस जाने के ..... पर मजबूरियों ने तालीम छीन ली औजार हाथ में दे दिये , कलम छीन ली .... कभी सर पर बस्ता उठाये चलता था आज पत्थर की परात आ गयीं ... मैरी मुस्कुराहटें, चेहरे की रोनक चलीं गयीं माथे पर पसीना ओर चेहरे पर थकान आ गयी... कभी माँ के आँचल में लिपट जाया करता था आज हिस्से में शमशान की राख आ गयीं ... मैरे भी कई ख्व़ाब थे... सब दफ़न हो गये एक आंधी चलीं नसीब की , सब कफन में सो गयें .. Dr.Vishal Singh आज विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर एक #collab Aesthetic Thoughts द्वारा दिया हुआ। #atमेरेख़्वाब Transliteration: Mere bhi kai khwaab the (I too had several dreams) #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics. #yqaestheticthoughts #yqdidi #worlddayagainstchildlabour