बहुत ख़ूबसूरत हो तुम, मैं तो हरपल तुम्हारा दीदार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। न कोई नफा न नुकसान इसमें, मैं ये सौदा बार बार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। मेरे ख़्वाबों में बसती हो तुम, तुम्हें कैसे मैं इनकार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। जब भी मिलोगी तुम मुझसे, मैं हर बार ही इजहार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। इस जीवन में क्या, मैं तो सातों जनम तुम्हें स्वीकार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। मेरी चाहत का इम्तिहान न लो, मैं बार बार पुकार करूँगा। यकीन मानो मैं आख़िरी पहर तक, तुम्हें यूँ ही प्यार करुँगा। ♥️ Challenge-696 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।