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सर रख कांधे पे हर राज़ बताऊं क्या .... बरसों बाद म

सर रख कांधे पे हर राज़ बताऊं क्या ....
बरसों बाद मिले हों तुम  बेझिझक मुस्कुराऊं क्या.  ..............
एक जमाना था वो न शिकवे न शिकायत थी ..
उल्फत के नजारे थे , बेशक हर लम्हे हमारे थे ...
कोरें  हैं कागज  भीगी है कलम 
अल्फाजों को पन्नों पे सजाऊं क्या.......
ये केहेना फिजूल हैं अब ,
बातें , वादे , यादें  इरादे,
 सब झूठे अफसाने  थे ..............
लड़ाईयां थी  झगड़े थे फिरभी
हर कहानी हर किस्से अपने थे.........
सितम की एक झलक न दिखी चेहरे पे तेरे ,
नासूर है  वो अब भी जख्म , दिखाऊं क्या..
की तकाज़ा बेमिसाल था आपका ,
गहरे है समुंद्र, सुकून से मर जाऊ क्या .........

©Preeti...alfaaz......
  #raaj batau kya#

#RAAJ batau kya#

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