यूंही नहीं कहते पीपल की छाव को ठंडा मैंने महसूस की है उसकी ठंडक।। तपती दोपहरी में चिलचिलाती धूप में राहत देती है पीपल की छांव। डामर की सड़क पर जब धूप झुलसाती है जिस्म और जलाती है पांव तब याद आती है पीपल की छांव गांव के बुज़ुर्गो से सुना था बड़ी ठंडी होती है पीपल की छांव शहर के गर्मी के थपेड़ों ने बता दिया कितनी ठंडी होती है पीपल की छांव शहर की इस बेतरतीब भाग दौड़ में मेरे गांव की याद दिलाती है पीपल की छांव।। पीपल की छांव