रिमझिम बारिश में भीग जाने दो मुझे। धुल जाएंगी मेरे मन की शिकायते। बह जाने दो हर ग़म अश्क़-ए-फ़लक में, टूट जाने दो ज़माने भर की रवायतें। एक बार फिर बना लो तुम काग़ज़ की नाव, ले चलो मुझको बारिश की नदिया के पार। प्यासी वसुंधरा का साथ मुझकों निभाने दो। बस एक बार आज बारिश में भीग जाने दो। छाने दो हरितिमा खिलने दो कुदरत को, माटी की सुगंध इन हवाओं में बहने दो। आज मेरे बचपन को मुझसे मिलने दो। आज आखिरी बार बारिश में भीगने दो। बस एक आखिरी बार……… इतनी ही गुजारिश है……… #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #रिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #kkरिमझिम #रिमझिमकविता #क़िर्तास_ए_ज़ीस्त