कर्ता क्रिया कर्म बनाकर कर शब्द शक्ति दिखलाती हो ! प्रेम पीर या मिलन विरह हो सबका अर्थ बताती हो !! लक्षणा के घूंघट से करके व्यंजना तुम ज्ञानपुंज सी ! भ्रान्ति मिटाकर मेरे मन की तुम "व्याकरण" कहाती हो !! व्याकरण ------ अपनी एक पुरानी रचना में चार पंक्तियाँ और जोड़ने का प्रयास किया है । काम अगर ठीक से हो गया हो तो मुझे जरूर बताएं..... शुभसंध्या मित्रो ! 🙏💠🍁🙏🍁🙏🙏🤓🌼🌸🍫☕☕🍁🍁🙏💠🌼☕☕☕🍁🙏💠🌼🌸☕☕🍁🙏💠🌼🌸🌸🍫🍫🍫🍫🍫☕ 🔯🕉🔯#पंछी☕☕☕#पाठक🏵🌼🌸🌼 #good evening🌸👍👍🌸🐦🌹🐦🕉👌🐦🕉👌🔯🔯🔯🕉🐦🔯🔯🔯🕉🔯🌷🌹 इस प्रेमग्रंथ की व्याकरण पढ़ने में तो सहज है पर समझ में नही आती ! तेरा ये अव्ययीभाव ठगधिकार सा लगता है !