मैं बहुत हैरान हूँ, क्या करूं, इससे अंजान हूँ, सड़कों पर दिन रात चल रहे हैं, बच्चे माँ ओ माँ चिल्ला रहे हैं, और कितनी दूर चलना होगा माँ? बार बार यही पूछे जा रहे हैं, पर वो माँ किससे पूछे, किसको अपने दर्द सुनाए, सारी परेशानियाँ छुपाए , माँ, चली जा रही बच्ची को गोद में उठाए, खुद भी नहीं पता, और कितना चलना होगा, और कितना भटकना होगा, एक दिन की दूरी, भी बन गयी है अब दोनों दिन की मजबूरी इनका क्या क़ुसूर था, जो इन्हें दर दर भटकना पड़ा? अब ये कभी वापस नहीं आना चाहेंगे, करने अपना पूरा सपना, कभी नहीं कहेंगे शहर को अब अपना।। Shaivya #प्रवासी_मजदूर #sadfeelings #poem #sad