लो फिर से आ गया चौदह सितम्बर का दिवस यारों सजेंगे मंच चारों ओर गूंजेगा तराना है ये कैसा दौर है हिन्दोस्ताँ में अजनबी हिन्दी न मिलता मान इसको और न इसका ही ठिकाना है नहीं हमको जरूरत हम तरक्की के सफर पर हैं बिलखती माँ से बच्चों का बड़ा अच्छा बहाना है अरे कब तक न हिन्दी हिन्द के घर घर में गूंजेगी करेंगे पूर्ण ये संकल्प मन में हमने ठाना है जो भूला है युवा अपनी ही संस्कृतियों के अफसाने सुनहरे काल से सबको हमें अवगत कराना है जो पढ़ते हैं विदेशी सभ्यता के चुटकुले हर दम उन्हें हिन्दी के शब्दों का तराना भी सिखाना है नहीं केवल दिवस भर के लिए हिन्दी हमारी हो इसे जीवन के क्षण क्षण में रचाना है बसाना है #हिन्दी_दिवस #manojkumarmanju #manju #hindipoetry #hindiquotes #hindiwriters #hindipoem