Nojoto: Largest Storytelling Platform

पल भर की है जिंदगी मालूम है मगर, तलब -ए - प्यास -

पल भर की है जिंदगी  मालूम है मगर,
तलब -ए - प्यास - दुनिया की खत्म नहीं होती,,
दोष मन के अंदर का नहीं इंसानी चमड़ी की होती है,,
बगैर चमड़ी में कोई अना,घमंड,गुस्सा और रंज कहां रहती है ,,,
नफरत और गुस्सा ओरो के जिस्म से हो कर गुजरती हवा से है जनाब,,
इसलिए तो बेहवा वाली जिस्म पर हर कोई तरस खाता है और दर्द पर आह! ना भरने वाले आवाम भी रोती हैं ।।।।

©Gumnaam Alfaaaz by Nikhat Bano
  #cycle  #gumnaam_alfaaz